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5000 साल पुरानी ये चीजें हम आज भी इस्तेमाल करते हैं

10 February, 2024

5000 साल पुरानी ये चीजें हम आज भी इस्तेमाल करते हैं

दुनिया की सबसे विकसित सभ्यताओं में से एक थी, हड़प्पा सभ्यता ! इस सभ्यता की खासियत थी प्लैन्ड शहर, प्रापर town प्लैनिंग जिसमें कि सड़कों के जाल से लेकर साफ सफाई तक हर चीज का ध्यान रखा जाता था, ये सभ्यता इतनी विकसित थी कि आज भी हमें ऐसे developed शहर देखने को नहीं मिलते । सुनकर हैरानी होगी दोस्तों लेकिन जो सभ्यता आज से करीब 4 हजार साल पहले मिट्टी के नीचे दब गई उसने हमें कई ऐसी चीजें दी हैं जिनका इस्तेमाल हम आज भी करते हैं, आज की इस विडिओ में मैं आपको उन्हीं चीजों के बारे में बताने वाला हूँ, क्योंकि अपना इतिहास नहीं जानोगे तो खुद को कैसे पहचानोगे ?

आज से करीब 5000 साल पहले हड़प्पा सभ्यता Pakistan, Afghanistan, और Northwest India में फैली हुई थी, करीब 13 लाख square किलोमीटर में फैली ये सभ्यता नॉर्थ मे कश्मीर के मांडा से लेकर साउथ में महाराष्ट्र के दैमाबाद तक और ईस्ट में यूपी के आलमगीरपुर से लेकर वेस्ट में पाकिस्तान के 'सुत्कागेंडोर' तक फैली हुई थी। बाकी इस पर मैंने एक डीटेल विडिओ बनाया है आप इसे देख सकते हैं

अब अगर बात करें तो सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में कई चीजें मिली हैं जैसे कि मूर्तियाँ, मुहरें, बर्तन, खिलौने। इन खिलौनों में कुछ पासे भी शामिल थे, ये पासे देखने में ठीक वैसे ही हैं जैसे कि हम आज लूडो खेलने के लिए इस्तेमाल करते हैं, इतिहासकार इन पासों को देखकर ये कहते हैं कि इनमें से ज्यादातर पासे घिसे हुए नहीं थे, जैसे कि इनको कुछ ही दिन पहले बनाया गया हो, लेकिन अगर इन्हें खेलने के लिए बनाया गया था तो ये घिसे होने चाहिए थे, और अगर जमीन पर फेंककर खेला जाता था तो इसमें किसी भी तरह की टूट फुट भी शामिल नहीं है, इसलिए हिस्टोरीयन्स मानते हैं कि इन्हें जमीन की बजाय कपड़े जैसी किसी चीज पर फेंककर खेलते होंगे, हड़प्पा की खुदाई में ऐसे क्यूबिकल पासे खूब मिलते हैं जिनसे पता चलता है कि वो लोग खेल खेलने के लिए इनका इस्तेमाल करते होंगे हो सकता है कि जुआ भी खेला जाता होता हालांकि जुए में करेंसी इस्तेमाल हो होती थी इसके कोई सबूत नहीं मिलता ।

दूसरी चीज ऐसी है जो हम आज भी इस्तेमाल कर रहे हैं वो वैसे तो बहुत छोटी है लेकिन है बहुत इम्पॉर्टन्ट , मैं बात कर रहा हूँ बटन की, जी हाँम हमारी शर्ट का बटन, ये बटन तब से ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं, हड़पा ई बटनें समुद्री सीप से बनी हुई हैं, आज की बटनों के जैसे इनमें छेद भ मिलते हैं हालांकि ये शर्ट जैसे किसी पोशाक को संभालने के लिए इस्तेमाल होते थे यह सिर्फ डेकोरेशन के लिए थे इस बारे में अभी तक

पुख्ता जानकारी नहीं है, और यही माना जाता है कि इन्हें डेकोरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता होगा क्योंकि बटन को use करने के लिए जो काज बनता है उसकी शुरुआत 13वीं शताब्दी के आसपास हुई थी ।

तीसरी चीज है शतरंज ! वैसे तो officially शतरंज के खेल की शुरुआत 6th century माना जाता है । लेकिन गुजरात में सिंधु घाटी की एक जगह है लोथल, वहाँ खुदाई में कुछ ऐसे टेबलेटेस मिले हैं जो बिल्कुल शतरंज जैसे लगते हैं। इनके खानों में गिट्टियाँ भी रखी हुई हैं । अब ये खेल शतरंज था या कुछ और इसे तो अभी पक्का नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना समझा जा सकता है कि यही खेल हो सकता है कि आगे चलकर चतुरंग या फिर शतरंज में बदल गया होगा ।

हड़प्पा की अगली चीज बेहद काम की है, ये चीज है स्केल याअ फिर रूलर । हड़प्पा सभ्यता के लोग एकदम सटीक माप का इस्तेमाल करते थे उनकी गलियां भी 90 डिग्री के कोण पर मिलती थी। यहाँ तक कि उनके घर की ईंटों को भी अगर आप देखेंगे तो सारी एक स्टैंडर्ड ratio में बनी है ये ratio है 1: 2:4 का,

ईटें दो साइज की थी छोटी ईटें थी 7*14*28 सेंटीमीटर की जिन्हें घर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, वहीं दूसरी ईंटें बड़ी होती थीं जिनका इस्तेमाल शहर की चार दीवारी बनाने के लिए होता था, इनका साइज़ 10*20* 40 सेंटीमीटर था। इससे पता चलता है कि सिंधु घाटी में स्केल का इस्तेमाल होता था।

दोस्तों हड़प्पा सभ्यता में बेहद दिलचस्प खिलौने मिलते हैं, इन खिलौनों में हमें बैलगाड़ी दिखती है, घूमने वाला चक्का, सांप, सीटी और मिट्टी के बने जानवर दिखते हैं जिसमें कुत्ते भी शामिल हैं, इन कुत्तों में पट्टा बंधा हुआ था इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस काल में कुत्तों को पालतू बना लिया जाता होगा । इन खिलौनों में एक खेल पिट्ठू भी है जिसे देशभर मे अलग अलग नाम से जाना जाता है। आपने भी बचपन मे इस खेल को खेला होगा, और हड़प्पा की सभ्यता में ऐसी गोटियाँ जगह जगह मिलि हैं, हो सकता है कि तब के बच्चे भी पिट्टू जैसा कोई खेल खेलते होंगे।

अच्छा एक और ऐसी चीज है जो आज भी हम बिल्कुल वैसी ही इस्तेमाल करते आ रहे हैं, ये चीज है रोटी बनाने का बेलन । बेलन के साथ तवे भी मिले हैं जिनसे पता चलता है कि 5000 पहले भी लोग आज की तरह गरमागरम रोटी रोटियां खाना पसंद करते होंगे । सिंधु घाटी सभ्यता में मिले खाने के बर्तन लगभग वैसे ही हैं जैसे आज इस्तेमाल होते हैं, मिट्टी से बने यू shaped चूल्हे, जो कि आज भी गांवों में इस्तेमाल होता है । मसाले अनाज कूटने के लिए हमाम दस्ते भी तब वैसे ही थे जैसे आज इस्तेमाल होता है ।

अब अगर चूल्हे की बात कर ही ली है तो ये भी जान लेते हैं कि उस टाइम पर लोग खाते क्या थे ? हिस्टोरीयन्स मानते हैं कि हड़प्पा अच्छा खासा अनाज होता था, यहाँ पर गेहूं, जौ ,सरसों तिल, मसूर वगैरह का उत्पादन था गुजरात के कुछ स्थानों से बाजराके पर्डक्शन का भी सबूत मिलता है, इसका मतलब है कि यहाँ प्रापर खेती होती थी। वैसे एक चीज यहाँ बहुत कम मिली है, और वो है चावल।

कुछ रिसर्च ये भी बताती हैं कि सिंधु घाटी के लोग मांस भी खाते थे, कई बर्तनों पर चर्बी के अवशेषों पर रिसर्च की गई है जो बताती है कि यहाँ पर सभी तरह के पालतू जानवरों का मांस खाया जाता होगा । जंगली जानवरों और पक्षियों का मांस भी उनकी डाइट में शामिल था लेकिन बहुत सीमित मात्रा में।

खाने पीने में मसालों का भी इस्तेमाल किए जाता था। इन मसालों मे अदरक और हल्दी ले साथ साथ लौंग का सबूत मिलता है ।

अगली चीज जो हमें मिलती है दोस्तों वो है सिंधु घाटी का सीवर सिस्टम। ये इतना उम्दा है कि आज भी ऐसा सीवर सिस्टम देखने को नहीं मिलता। घरों को सुविधाओ से लैस बनाया गया था, जिसमें टाइल्स लगा बाथरूम होता था और इसका पानी नाली के माध्यम से बाहर जाता था। ये पानी फिर शहर की नालियों के नेटवर्क से मिलता था और यह नालियां उस पानी को शहर से बाहर लेकर जाती थी।

इस तरह की चीजें तब की किसी भी सभ्यता में नहीं थीं और आज भी ऐसी चीजें मिलना बेहद मुश्किल है ।

तो दोस्तों ये थीं वो चीजें जिनकी शुरुआत को हम हड़प्पा सभ्यता से मान सकते हैं ।